मंगलवार, 10 सितंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*सांई सरीखा सुमिरण कीजे, सांई सरीखा गावै ।*
*सांई सरीखी सेवा कीजे, तब सेवक सुख पावै ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ परिचय का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
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*पद सेवक भक्त के भाव के समान ही भगवान उसकी सेवा लेते हैं -*
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पद सेवक के भाव सम, भगवत सेवा लेत ।
जयमल बँगला बनाकर, फिरत पहरादेत ॥१२५॥
मीराबाई के छोटे भाई मेड़ता के राजा जयमल भगवान के पाद सेवक भक्त थे । एक बार ग्रीष्म ऋतु में उनके मन मे आया कि हम तो अटारी में शयन करते हैं और भगवान नीचे मंदिर में जहां वायु का प्रवेश भी नहीं होता है, यह अति अनुचित है ।
फिर उन्होने तिमंजीले पर एक विचित्र बंगला बनाया और सब प्रकार से उसे सजा करके उसमें एक सुन्दर शय्या तैयार कर दी और प्रति दिन रात्रि के समय मिठाई आदि आवश्यक सब वस्तुएं रख करके मानस ध्यान से उसमें भगवान को शयन कराकर आप सशस्त्र बंगले के चारों ओर फिरते हुये पहरा देने लगे ।
भक्त के भाव के अनुसार भगवान भी प्रतिदिन उसमें शयन करते हुये मिठाई आदि भी सब खाने पिने लगे । इससे जयमल को बड़ा आनन्द मिलने लगा ।
राजा जब बहुत समय तक रानी के महल में नहीं गया तब रानी को शंका हुई कि इस नये बंगले में कोई अन्य स्त्री आती होगी । वह एक रात्रि को छुपकर ऊपर गयी और किशोर अवस्था के एक सुन्दर बालक को सोते देख कर लौट आई । प्रात: राजा से पुछा तब राजा ने कुछ क्रोध किया किन्तु मन में सोचा यह बड़भागनी है जो इसे भगवान के दर्शन हुये ।
इससे सूचित होता है कि भगवान पद सेवक के भाव के अनुसार ही उसकी सेवा ग्रहण करते हैं । 
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
######## सत्य राम सा

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