सोमवार, 9 सितंबर 2019

= सुन्दर पदावली(२७. राग धनाश्री - १/४) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*अमी महा रस पीजिये रङ्ग हो हो होरी ।* 
*पूरणब्रह्म बिलास रंगनि रङ्ग हो हो होरी ।* 
*मतिवाले सब साधवा रङ्ग हो हो होरी ।* 
*माते सुन्दरदास रंगनि रङ्ग हो हो होरी ॥४॥* 
ऐसा रंग खेल कर रामनाम का अमृत रस पीजिये । इस रंग के खेलने के पूर्ण ब्रह्म के साथ मिलन का सुख प्राप्त होगा । सब सन्त यही रंग खेल कर हरि रस में मत्त रहते हैं । महात्मा श्रीसुन्दरदासजी का भी यही कथन है कि ऐसी वसंतोत्सव क्रीड़ा ही सन्तों के लिये सर्वोत्तम मानी गयी है ॥४॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें