बुधवार, 18 सितंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*दादू जल दल राम का, हम लेवैं परसाद ।*
*संसार का समझैं नहीं, अविगत भाव अगाध ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ विश्वास का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ##भाग २ ##संतोष*
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संतोषी मांगते नहीं, सहै यदपि अति त्रास ।
मूली पत्ता खा भये, तुष्ट मनोहरदास ॥२५९॥
संतवर दादूजी के शिष्य जनगरीबजी आंधी वालों की शिष्य परम्परा के संत मनोहरदासजी विचरते हुये नारनौल जा निकले ।
भूख जोर से लगी थी किन्तु वे बड़े संतोषी थे, किसी से भी नहीं मांगते थे ।
नारनौल की शाक(सब्जी) मंडी के मार्ग मे मालिनों के द्वारा फेंके हुये मूली के पीले पत्ते उठा उठा खाने लगे, किन्तु उस अवस्था में भी मांगा नहीं ।
उसी समय जयरामदास महाराज की दृष्टी उन पर पड़ी । उनके संतोष और वैराग्य को देख करके जयरामदास उन्हीं के भक्त बन गये । उनके वंशज आज भी दादूओं के नाम से नारनौल में प्रसिद्ध है ।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्य राम सा ###

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