सोमवार, 9 सितंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷 
*जे हम छाड़ैं राम को, तो कौन गहेगा ?* 
*दादू हम नहिं उच्चरैं,तो कौन कहेगा?* 
*(श्री दादूवाणी ~ साँच का अंग)* 
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal 
*भेष भक्त भय से भेष नही त्यागता -*
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भेष भक्त भय से कभी, तजत भेष निज नाँहि ।
दुगुण सजा भगवानदास, गये सभा के माँहि ॥२२२॥
भक्त भगवानदासजी मथुरा में रहते थे । एक समय बादशाह ने परीक्षा के लिये डौंडी(धोषणा) पिटवाई कि - 'जो माला तिलक धारण करेगा उसे प्राणन्त दण्ड मिलेगा ।'
बहुतों ने माला तिलक त्याग दिये किन्तु भगवानदासजी नहीं डरे और अपने अनुगामियों के सहित अन्य दिनों से दुगने तिलक माला धारण करके बादशाह की सभा में गये । बादशाह के अपनी आज्ञा भंग करने का कारण पूछा । 
भगवानदासजी ने निर्भयता से कहा - 'हमारे धर्म मे माला तिलक सहित प्राण जाय तो उद्धार होता है । जब हमें अपनी मृत्यु ज्ञात हो गई, तब अच्छी प्रकार तिलक और माला धारण करकें बिना परिश्रम ही क्यों न मुक्ति प्राप्त करे ।' भगवानदासजी का यह दृढ विश्वास देख करके बादशाह प्रसन्न हो गये ।
इससे सूचित होता है कि भेष भक्त भय से अपना भेष नहीं त्यागते ।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ### 
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ### 
######## सत्य राम सा

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