#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*शब्द अनाहद बाजहीं रङ्ग हो हो होरी ।*
*बीना ताल मृदंग रंगनि रङ्ग हो हो होरी ।*
*रोम रोम सुष ऊपजै रङ्ग हो हो होरी ।*
*षेल मच्यौ सत संग रंगनि रङ्ग हो हो होरी ॥३॥*
हमारी इस होली में प्रयुक्त करने योग्य एक उत्तम रंग अनाहत नाद भी है । एक उत्तम रंग वीणा, ताल, मृदङ्ग की ध्वनि के साथ हरिगुणगान भी हो सकता है । इस रंग का प्रयोग हमारे रोम रोम को सुख पहुँचायगा । ऐसे सत्संगों में यही रंग उत्तम माना गया है ॥३॥
(क्रमशः)

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