卐 सत्यराम सा 卐
*आत्म चेतन कीजिए, प्रेम रस पीवै ।*
*दादू भूलै देह गुण, ऐसैं जन जीवै ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
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*योग शक्ति से तत्काल सूक्ष्म देह -*
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योग शक्ति से होत है, सूक्ष्म देह तत्काल ।
सिद्ध दोय हनुमान अरू, सूक्ष्म बने सुविशाल ॥३०॥
१ - संतप्रवर दादूजी जिन दिनों आँमेर में निवास कर रहे थे तब दो सिद्ध उनके दर्शन करने वहाँ आये थे । श्री दादू आश्रम पर आकर उन सिद्धों ने पूछा - 'संत दादूजी कहाँ है ?' अन्य संतों ने कहा - वे तो इस समय गुफा में है और अमुक समय बाहर आते हैं । सिद्धों ने सोचा इतनी देर यहां बैठना तो नहीं है, गुफा में चल कर दर्शन करना चाहिये । गुफा का द्वार मजबूत कपाटों से बन्द था किन्तु सिद्धों ने योग बल से अपने शरीर अति सूक्ष्म बना लिया और गुफा के किवाड़ों की दरार से भीतर जाकर संतवर दादूजी के दर्शन किये तथा वार्तालाप भी किया ।
२ - हनुमानजी जब समुद्र लांध रहे थे तब देवताओं ने उनके बल बुद्धि की परीक्षा लेने के लिये सर्पों की माता सुरसा को भेजा था । वह हनुमानजी को खाने लगी थी । हनुमानजी ने कहा - 'जब मैं रामचन्द्रजी का कार्य सीता की खोज करके रामजी को सुना दूं । फिर तू मुझे खा लेना अभी तो जाने दे ।'
फिर जब वह उन्हें खाने लगी तब हनुमानजी ने अपना शरीर बहुत बढा लिया था । उन्हें खाने के लिये सुरसा ने भी अपना मुख और पेट बहुत बढाया था । उसी समय हनुमानजी अपनी योग शक्ति से अति सूक्ष्म देह बनाकर उसके मुख मे प्रवेश करके तत्काल निकल गये थे ।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
######## सत्य राम सा

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