शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*करणी कठिन होत नहिं मोपै,*
*क्यों कर ये दिन भरते ।*
*लालच लाग परत पावक में,*
*आपहि आपै जरते ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. १७)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु भाग १ ## मन*
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बिना दैव मन आश भी, पूर्ण होत है नांहि ।
नृपकन्या नृपहि मिली, विप्र रींछ मुख मांहि ॥१०॥
एक राजा ने एक पंडित को अपनी कन्या की हस्तरेखा दिखाई । पंडित ने कहा - "इसको वरने वाला(शादी करना) चक्रवर्ती राजा होगा ।" फिर पंडित ने यह सोचकर कि यह मुझे मिल जाय तो मैं ही चक्रवर्ती राजा बन जाऊंगा, राजा से कहा - "एक विचित्र बात और है इसकी हस्तरेखा से ज्ञात होती है कि - पिता जब इसका विवाह करेगा तब उस पर भारी दु:ख पड़ेगा ।"
यह सुनकर राजा घबराया और बोला - "तो फिर क्या करना चाहिये ?"
ब्राह्मण - "इसे एक सन्दूक में बंद कर, नदी मे छोड़ दें ।" राजा ने वैसा ही किया । ब्राह्मण अपन गांव के पास नदी पर उसे निकालने को तैयार रहा किन्तु बीच में ही एक राजा ने उसे निकाल कर सन्दूक में एक रीछ बंद करके नदी में छोड़ दिया ।
ब्राह्मण ने बड़े चाव से निकाल कल अपने घर में बंद करके खोला । खोलते ही क्रोधित रीछ ने उसे मार गिराया ।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
######## सत्य राम सा

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