🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🙏 *#श्रीदादूअनुभववाणी* 🙏
*द्वितीय भाग : शब्द*, *राग गौड़ी १, गायन समय दिन ३ से ६*
साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, राज. ॥
.
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🙏 *#श्रीदादूअनुभववाणी* 🙏
*द्वितीय भाग : शब्द*, *राग गौड़ी १, गायन समय दिन ३ से ६*
साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, राज. ॥
.
८४ - (फारसी) शूल ताल
दरबार तुम्हारे दरदवँद१, पीव पीव पुकारे ।
दीदार दरूनैं२ दीजिये, सुन खसम३ हमारे ॥टेक॥
तनहां४ के तन पीर है, सुन तूँही निवारे ।
करम५ करीमा६ कीजिये, मिल पीव पियारे ॥१॥
शूल७ सुलाको८ सो सहूं, तेग तन मारे ।
मिल सांई सुख दीजिये, तूँही तूँ संभारे ॥२॥
मैं शुहूदा९ तन सोखता१०, विरहा दुख जारे ।
जिय तरसे दीदार को, दादू न विसारे ॥३॥
.
प्रभो ! आपके अष्टदल - कमल रूप दरबार के हृदय - द्वार पर आपके वियोग से विकल१ हो "पीव", "पीव" ! पुकार रहे हैं । हमारे स्वामिन्३ ! हमारी प्रार्थना सुनकर हृदय२ में प्रकट होकर हमें दर्शन दीजिये ।
.
आपके बिना अकेले४ रहने से मेरे शरीर में बड़ी पीड़ा होती है । आप ही मेरी प्रार्थना सुन कर इसे दूर कर सकते हैं । हमारे प्रियतम स्वामिन् ! कृपालो६ ! कृपा५ करके हमारे हृदय में प्रकट होकर हमें मिलें ।
.
वह विरह रूप शत्रु मेरे शरीर पर विकलता रूप तलवार मारता है, उसके घावों८ की वह पीड़ा७ मैं सहन करता हूं और "तूँ ही तूँ" करते हुये आपका स्मरण करता हूं ।
.
विरह - दु:खाग्नि जला१० रही है, मेरा शरीर इससे व्याकुल९ हो गया है । मैं सब में आपको व्यापक रूप से देख रहा हूं , किन्तु मेरा मन आपके प्रत्यक्ष दर्शनार्थ तरस रहा है । आप मुझे न भूलें, दर्शन देकर कृतार्थ करें ।
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें