बुधवार, 23 अक्टूबर 2019

= सुन्दर पदावली(फुटकर काव्य २.गूढार्थ - २१/२२) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= फुटकर काव्य २.गूढार्थ - १९/२० =* 
*कर्म काटि न्यारा भया बीसौं बिश्वा संत ।* 
*रमैं रैनि दिन राम सौं जीवै ज्यौं भगवंत ॥२१॥* 
साधुजन अपना कर्मबन्धन काट कर संसार से पूर्णत(बीसों विश्वा) पृथक् हो जाते हैं । वे दिन रात रामभजन में लगे रहते हैं, अतः वे भगवान् के समान ही अपना जीवनयापन करते हैं ॥२१॥ 
*नाम हृदै निश दिन सुनै मगन रहै सब जांम ।* 
*देषै पूरन ब्रह्म कौं वही एक बिश्रांम ॥२२॥* 
भक्त को अपने हृदय में निशदिन(निरन्तर) भगवन्नाम के साथ रमण करना चाहिये । आठों पहर उसी नाम का ध्यान करना चाहिये । तभी वह उस पूर्ण ब्रह्म का साक्षात्कार कर उसमें लीन रह सकता है ॥२२॥ 
गूढार्थ का व्याख्यान संपन्न ॥२॥ 
॥इति गूढार्थ॥२॥
(क्रमशः)

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