बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

= सुन्दर पदावली(फुटकर काव्य ३. आद्यक्षरी - ७/८) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= फुटकर काव्य ३. आद्यक्षरी - ७/८ =* 
.
*सुं*न्य मांहिं सूरय उदय, *द*श हूं दिशा प्रकाश ॥* 
*र*है निरन्तर मग्न व्है, *कै*सौ जन्म बिनाश ॥७॥* 
क्योंकि ऐसे उपासक के लिये शून्य में ही ज्ञान का प्रकाश हो जाता है । तथा वह प्रकाश ही दशों दिशाओं में फैल जाता है । उपासक उसी ज्ञान में मग्न होकर निरन्तर भगवद्भजन में लीन रहता है । उसके सन्मुख जन्म एवं मृत्यु की समस्या ही उत्पन्न नहीं होती ॥७॥ 
*सि*द्ध भये सब साधि कै, *र*ही न कोऊ शंक ।* 
*हा*रि जीत अब को करै, *थ*पै और ई अंक ॥८॥* 
ऐसी साधना करने वाले सभी साधक अन्त में पूर्ण सिद्ध हो गये । इस विषय में उनके प्रति शंका या सन्देह नहीं रह गया । अब किसी की जय या पराजय का तो स्थान ही नहीं रह गया । न किसी अन्य कर्म बन्धन का ही अवकाश रह गया ॥८॥ 
॥ इति आद्यक्षरी संपन्न ॥ 
इस आद्यक्षरी काव्य से(प्रथम अक्षरों द्वारा) यह दोहा निकला – 
*स्वामी दादू सत्य करि, भजे निरंजन नाथ ।* 
*तिन ही हीया आयु ते, सुन्दर के सिर हाथ ॥*
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें