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*जे हम छाड़ैं राम को, तो कौन गहेगा ?*
*दादू हम नहिं उच्चरैं, तो कौन कहेगा ?*
*(श्री दादूवाणी ~ साँच का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *तप*
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संतवर दादूजी अकबर बादशाह के बुलवाने पर सीकरी गये थे । आमेर के राजा भगवतदास तथा दादूजी के शिष्यों ने मिलकर दादूजी से कहा था -
"स्वामी कछू भली सो कहो, बादशाह के रुख में रहो ।"
अर्थात स्वामीजी जिस प्रकार बादशाह प्रसन्न रहे, वैसी ही बातें बादशाह से कहना, क्योंकि वह मुसलमान है, नाराज होने पर हमें दुख: देगा ।
यह सुन दादूजी ने कहा -
"दादू हम नहिं कहेंगे तो कौन कहेगा ?
अर्थात कुमार्ग से बचाकर कल्याण के मार्ग का उपदेश हम भी नहीं करेंगे तब और कौन करेगा ? हम अपने लौकिक सुख के लिये बादशाह के मन की - सी बातें कहकर अपने यर्थात कथन का व्रत कभी नहीं छोड़ेंगे ।
नहिं व्रत यथार्थ कथन का, भय से तजे सुजान।
दादू कहा हम नहिं कहें, तब को करे बखान ॥२५२॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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