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*धनि धनि साहिब तू बड़ा, कौन अनुपम रीत ।*
*सकल लोक सिर सांइयां, ह्वै कर रह्या अतीत ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ विश्वास का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *ईश्वर भरोसा*
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विश्वासी न अधीर हो, प्रथम करे निज काम ।
ईश्वर आदन आत ही, खिचड़ी ऊरी राम ॥२६६॥
संत ईश्वरदासजी मारवाड़ी थे, गुजरात में भी आते जाते थे । एक दिन उनके पास भोजन के लिये कुछ भी नही था किन्त ईश्वर पर उनका दृढ भरोसा था । उनने भोजन बनाने का समय होने पर यह सोच कर के कि मैं अपना काम तो कर लूँ, अन्न देने वाला भगवान है, फिर वे आप ही अपना काम करेंगे । चूल्हे पर आदन(गर्म जल) चढा दिया । पानी गर्म होते ही एक अपरिचित व्यक्ति सूखी खिचड़ी लेकर ईश्वरदासजी के पास आया और खिचड़ी उन को अर्पण कर दी । ईश्वरदासजी ने तुरन्त उसे गर्म जल में डाल दिया ।
कहा भी है -
रामभरोसे ऊकले, आदन ईश्वरदास ।
ऊकलता में ऊरसी, राख हृदय विश्वास॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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