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*दादू नीकी बरियां आय कर, राम जप लीन्हां ।*
*आत्म साधन सोधि कर, कारज भल कीन्हां ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *तप*
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जयद्रथ ने वन में द्रोपदी का अपहरण किया था । उस समय भीमसेन से परास्त होना पड़ा था । इस अपमान से उसने शंकर की अराधना करते हुये बड़ा कठोर तप किया । उस तप के प्रभाव से शंकरजी ने दर्शन देकर अर्जुन को छोड़कर चारों पाण्डवों को विजय करने का वर दिया था । अभिमन्यु की रक्षा के लिये चक्र-व्यूह में प्रवेश करने के समय चारों पांडवों को जयद्रथ ने जीता था । जयद्रथ की वह विजय तपोबल से हुई थी ।
होत निबल की भी विजय, तप से संशय नांहि ।
चक्र-व्यूह दर पर भई, जयद्रथ की रण मांहि॥२४६॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###
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