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*दादू बिन बेसासी जीयरा, चंचल नांही ठौर ।*
*निश्चय निश्चल ना रहै, कछू और की और ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ विश्वास का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *दृढ़ता*
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एक व्यक्ति ने एक संत से पूछा - शीध्र से शीध्र भगवान मिले, ऐसा साधन बतावें ? संत - 'तीन दिन रात कुछ भी न खा-पीकर, एक आसन से निरंतर भजन करता रहे तो भगवान मिल जायेंगे ।' यह उपयुक्त रीति से तीन दिन का नियम करके एक पहाड़ की कंदरा में जा बैठा । दूसरे दिन साँझ के समय एक स्त्री, कुछ बच्चें और कुत्तों के साथ एक भील आया और उसके पास ही अपना डेरा डाला, ठहर गया । साँझ को तो कुत्तों को खा गया और प्रात: बच्चों को मार कर खा गये ।
मध्यहन में स्त्री ने कहा - 'कहीं जाकर खाने के लिये तो कुछ लाओ नहीं तो साँझ को क्या खाओगे ?'
भील - 'तुझे दिखता नहीं है क्या ? यह जो सामने बैठा है इसे ही खायेंगे ।' यह सुनकर भयभीत हो अपना निश्चय छोड़ भाग गया । वह भील आदि सब ईश्वर की माया थी । यदि वह अपना निश्चय दृढ रखता तो उसे ईश्वर दर्शन हो जाते ।
दृढता बिन नहीं सफलता, बात सत्य यह जान ।
त्रय दिन से पहले भगा, पा न सका भगवान॥४८॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###
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