शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

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*जहाँ राम तहाँ संतजन, जहाँ साधु तहाँ राम ।*
*दादू दोन्यूं एकठे, अरस परस विश्राम ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ परिचय का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी ​ 
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *ईश्वर* 
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मुरारीदास मध्य प्रान्त छतीसगढ परगने के विलौदा गांव के पास एक टूटे हुए एक मंदिर मे रहा करते थे । अयाच की वृत्ति थी, एक समय तीन दिन भूखे रहे तब भगवान ने एक माता का रूप बनाकर उन्हें भोजन दिया था । तब से वे सब के चरण छूकर आंखों के लगाते थे । 
इससे राजा नाराज होकर उन्हें देश निकाला दे दिया । वृन्दावन आ गये । उधर राजा को बड़ा कष्ट हुआ, तब उन्हें फिर पीछे ले गये । राजा अच्छा हो गया । इससे ज्ञात होता है कि भक्त के लिये भगवान माता बनकर भोजन देते थे ।
भूखे भक्तन को हरि, भोजन दें बन माता ।
भक्त मुरारीदास को, दीना आधी रात ॥९०॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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