शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

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*परमार्थ को राखिये, कीजे पर उपकार ।*
*दादू सेवक सो भला, निरंजन निराकार ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ साधु का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी ​ 
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग ३* *भक्त* 
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मेवाड़ के कौण गांव में दादूपंथी संत हंसदासजी रहा करते थे, वहां का तालाब बारम्बार टूटता रहता था ।
ज्योतिषियों ने कहा - 'तालाब की बीच की नीव पर भैंसों की बलि दी जाय तो फिर न टूटेगा और न ही सूखेगा ।'
जब वहां बलि देने लगे तब सर्वहितैषि संत हंसदासजी ने कहा - 'भैंसों की बलि मत दो, इन्हे छोड़ दो । मैं बताउं वहाँ से बांध दो फिर न टूटेगा और न ही सुखेगा ।'
उन्होंने दोनों पहाडियों के बीच एक कंकर रखकर कहां - 'यहां से बाँध दो वैसा ही किया ।' फिर कभी न टूटा और न सुखा ही । इस तरह भैंसों को भी बचाया और जनता का हित भी किया ।
सर्व हितैषी भक्त जन, होते संशय नाँहि ।
हंसदास हिंसा हरी, कौण गांव के माँहि ॥४३१॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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