रविवार, 3 नवंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🙏 *#श्रीदादूअनुभववाणी* 🙏
*द्वितीय भाग : शब्द*, *राग गौड़ी १, गायन समय दिन ३ से ६*
साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, राज. ॥
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९१ - (फारसी) हितोपदेश । पँचमताल
बाबा मर्द मर्दा गोइ१, ये दिल पाक२ करदम३ धोइ ॥टेक॥
तर्क४ दुनियाँ दूर कर दिल, फर्ज५ फारिग६ होइ ।
पैवस्त७ परवरदिगार८ सौं, आकिलाँ९ सिर१० सोइ ॥१॥
मनी११ मुरद:१२ हिर्स१३ फानी१४, नफ्स१५ रा१६ पामाल१७ ।
बदी१८ रा बरतरफ१९ करद:२०, नाम२१ नेकी ख्याल२२ ॥२॥
जिंदगानी२३ मुरद: बाशद२४, कुंजे२५ कादिर२६ कार२७ ।
तालिबाँ२८ रा हक२९ हासिल३०, पासबाने३१ यार ॥३॥
मर्दे मर्दा सालिकाँ३२ सर३३, आशिकाँ३४ सुल्तान३५ ।
हजूरी होशियार दादू, इहै गो ३६ मैदान ॥४॥
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कल्याणप्रद उपदेश कर रहे हैं, हे बाबा ! मर्दों में मर्द उसी को कहना१ चाहिए, जिसने पाप - कीचड़३ धोकर अपना हृदय पवित्र२ कर लिया है । 
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साँसारिक बातों को त्याग४ कर अपने मन को सँसार से दूर कर लिया तथा अपने कर्त्तव्य५ कर्म को करके निश्चिन्त६ हो विश्व - पालक८ परमात्मा से मिला७ रहता है, वही बुद्धिमानों९ में शिरोमणि है वो यही बुद्धिमानों८ का रहस्यमय१० सिद्धान्त है । 
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अहँकार११ को मार१२ कर नश्वर१४ पदार्थों की तृष्णा१३ और विषय - वासना१५ को१६ नष्ट१७ कर, बुराई१८ को दूर१९ कर२०, इज्जत२१ तथा भलाई का विचार२२ रख । 
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जीवितावस्था२३ में ही मृतक समान निर्द्वन्द्व हो कुछ भी परवा२४ न रख कर, समर्थ२६ प्रभु की प्राप्ति रूप काम२७ के लिए सँसार के किनारे२५ बैठ । ऐसा करने से ही जिज्ञासुओं२८ को सत्य२९ रूप फल प्राप्त३० होता है और सच्चा मित्र परमात्मा रक्षक३१ होता है । 
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मर्दों में मर्द सँत - यात्री३२ हैं । वे ही ईश्वर प्रेमी३४ साधकों के सरदार३३ और बादशाह३५ हैं । प्रभु के निकटवर्ती रहने में ही सावधान रहते हैं । इन्द्रियों३६ को जीतने का युद्ध क्षेत्र यही(मनुष्य) शरीर है । अत: इन्द्रियों को जीत कर प्रभु के पास जाना चाहिए ।
(क्रमशः)

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