शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

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*तेरा सेवक तुम लगै, तुम्हीं माथै भार ।*
*दादू डूबत रामजी, बेगि उतारो पार ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ बिनती का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी ​ 
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग ३* *प्रेमी भक्त* 
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एक दिन कुछ गोपियाँ मक्खन आदि बेचने यमुना पार जा रही थी । तट पर नौका तो थी किन्तु मल्लाह न था । गोपियों ने श्रीकृष्ण से प्रार्थना की । वे उन्हें पार उतारने लगे । यमुना के बीच में जाकर नौका डूबने लगी । 
गोपियों ने कहा - हमें हमारे डूबने आदि का कौई दु:ख नहीं है किन्तु भव सागर से पार करने वाला भगवान श्रीकृष्ण जिस नाव के खेने वाले थे वह नाव डूब गई । इस बात के फैलने से हमको बड़ी लज्जा आयेगी । इससे सूचित होता है कि प्रेमी को प्रेम पात्र की न्यूनता(कमजोरी) देख कर लज्जा आती है ।
प्रेम पात्र की न्यूनता, लख प्रेमी को लाज ।
लजी नाव डूबत सभी, केवट लख व्रजराज॥२८८॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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