#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= (चित्र बंध, चौपड़ बंध. ७) =*
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*चौपाई*
*हौं गुन जीत सहों सबकी जु ।*
*हौं सनमान सयान तजौ जु ॥*
*हौं कन राषत या तन में जु ।*
*हौं बन में तजि जात हुतौ जु ॥८॥*
मैंने इन्द्रिय निग्रह कर तितिक्षा की ऐसी साधना कर ली है कि अब सांसारिक मानापमान तथा चतुराई को हेय(त्याज्य) समझता हूँ । मैं अब प्राण धारण हेतु अल्पाहार ही करता हूँ तथा संसार का माया-मोह त्याग कर वन में जा कर एकान्त साधना भी कर सकता हूँ ॥८॥
(क्रमशः)
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