बुधवार, 6 नवंबर 2019

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*दादू हौं बलिहारी सुरति की, सबकी करै सँभाल ।*
*कीड़ी कुंजर पलक में, करता है प्रतिपाल ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ विश्वास का अंग)*
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *सेवा* 
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जोधपुर राज्य के छटेरा गांव मे विदुरजी रहते थे और सदा साधु-सेवा में लगे रहते थे । एक साल वर्षा की कमी से खेत का जल(सूख) गया इससे साधुओं के भोजन की चिन्ता करके वे धबराने लगे, तब स्वप्न में भगवान ने कहा - "धबराने की कोई बात नहीं, तुम सूखे खेत को काट कर झाड़ो, दो हजार मन अन्न निकलेगा ।" 
विदुरजी जब स्वप्न की आज्ञा के समान करने लगे तब लोगों ने बड़ी हंसी उड़ाना आरम्भ किया । किन्तु उन्होंने उसकी कोई परवाह नही की । खेती कूट करके झाड़ने से पूरा दो मन अनाज निकला । ऐसे ही धन्ना भक्त का भी साधुसेवा से बिना बीज के ही खेत निपजा था । इससे सूचित होता है कि साधुसेवी को साधुसेवा के लिये भगवान ही अन्न देते हैं ।
साधुसेवी को देत है, अन्न स्वयं ही राम ।
जले खेत के अन्न से, भरा विदुर का धाम ॥३३२॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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