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*शरण तुम्हारी राखो गोविन्द,*
*इन सौं संग न दीजे ।*
*इनके संग बहुत दुख पाया,*
*दादू को गहि लीजे ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. १७६)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *शरणागत की रक्षा*
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महाराज अम्बरीश पर कालकृत्य छोङने से अम्बरीश की रक्षा के लिये भगवान की आज्ञा से सुदर्शन ने कालकत्या को मार कर के दुर्वासा का पीछा किया । उस समय दुर्वासा विष्णुजी की भी शरण गये थे । विष्णुजी ने भी उसकी रक्षा नहीं की । तब दुर्वासा ने क्रोधित होकर विष्णुजी को दश जन्म धारण करने का शाप दिया था इसलिये विष्णुजी के दश अवतार हुए सो ख्यात(प्रख्यात) है । इससे ज्ञात होता है कि शरणागत के त्याग से भलाई नही ।
शरणात से त्याग से, भला न देखत जात ।
दुर्वासा के त्याग से, विष्णु जन्म दश ख्यात॥३४६॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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