शनिवार, 9 नवंबर 2019

= १३७ =


🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*सबै कसौटी शिर सहै, सेवक सांई काज ।*
*दादू जीवन क्यों तजै, भाजे हरि को लाज ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ शूरातन का अंग)*
=====================
साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी​ 
.
*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *सेवा* 
############################ 
तोदर राजपूत भीमसिंह के पुत्र ठाकुर भगवानदास का साधु सेवा में बहुत प्रेम था । प्रति वर्ष मथुरा में जाकर इच्छानुसार साधुसेवा किया करते थे । अधिक खर्च करने से धन कम हो गया । तो भी ऋण लेकर के मथुरा गये और अन्य वर्षों की अपेक्षा कुछ कम करने का विचार किया । किन्तु चौबे अड़ गये कि हम तो सदा जितना मिलता रहा उतना ही लेंगे । 
भगवानदास ने अपना सब रुपया सब के सामने रख दिया । तब सब ने निश्चय किया कि उनका सूखा अन्न साधु ब्राह्मणों को बांट दिया जाय । बांटते समय भक्तों के द्रोहियों ने भगवानदास की हँसी कराने के लिये एक-एक की जगह दस-दस सीधे दिलाने आरम्भ किये । तब भगवान् ने भगवनदास की लाज रखने के लिये भण्डार को अटूट बना दिया । बांटने वाले भी थक गये किन्तु कोई भी वस्तु कम नहीं हुई । 
इससे सूचित होता है कि साधुसेवी की लाज भगवान् अवश्य रखते हैं ।
परमेश्वर ही रखत हैं, साधुसेवि की लाज ।
मथुरा में पुरा किया, भीमसिंह सुत काज ॥३३३॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें