सोमवार, 11 नवंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🙏 *#श्रीदादूअनुभववाणी* 🙏
*द्वितीय भाग : शब्द*, *राग कान्हड़ा ४ (गायन समय रात्रि १२ से ३)*
साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, राज. ॥
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९९ - वर्ण भिन्न ताल
आव सलौंने देखन दे रे, 
बलि बलि जाऊँ बलिहारी तेरे ॥टेक॥
आव पिया तूँ सेज हमारी, 
निश दिन देखूँ बाट तुम्हारी ॥१॥
सब गुण तेरे अवगुण मेरे, 
पीव हमारी आह१ न ले रे ॥२॥
सब गुणवन्ता साहिब मेरा, 
लाड२ गहेला दादू केरा३ ॥३॥
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हे मनोहर प्रभो ! आइये मुझे, आपके दर्शन करने दीजिये । मैं मन - वचन, कर्म से आपकी बलिहारी जाता हूं । 
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प्रभो ! आप हमारी हृदय शय्या पर पधारिये, मैं रात - दिन आपका मार्ग देख रहा हूं । 
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आपने तो सब प्रकार से हमारे ऊपर उपकार रूप गुण ही गुण किये हैं । मेरे द्वारा तो अवगुण ही हुये हैं । प्रभो ! क्या इसीलिए आप हमारी दु:खभरी पुकार१ भी नहीं सुनते हो ? 
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हे मेरे सर्वगुण - सम्पन्न स्वामिन् ! अब प्यार२ पूर्वक मुझ भक्त का३ हाथ अवश्य ग्रहण करिये ।
(क्रमशः)

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