🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🙏 *#श्रीदादूअनुभववाणी* 🙏
*द्वितीय भाग : शब्द*, *राग गौड़ी १, गायन समय दिन ३ से ६*
साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, राज. ॥
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*द्वितीय भाग : शब्द*, *राग गौड़ी १, गायन समय दिन ३ से ६*
साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, राज. ॥
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९२ - ईश्वर चरित । त्रिताल
ये सब चरित तुम्हारे मोहना,
मोहे सब ब्रह्मँड खँडा ।
मोहे पवन पानी परमेश्वर,
सब मुनि मोहे रवि चँदा ॥टेक॥
साइर१ सप्त मोहे धरणी धरा,
अष्ट कुली५ पर्वत मेरु मोहे ।
तीन लोक मोहे जग जीवन,
सकल भुवन तेरी सेव सोहे ॥१॥
शिव विरँचि नारद मुनि मोहे,
मोहे सुर सब सकल देवा ।
मोहे इन्द्र फणींज्२ पुनि मोहे,
मुनि मोहे तेरी करत सेवा ॥२॥
अगम अगोचर अपार अपरं३ परा४,
को यहु तेरे चरित न जाने ।
ये शोभा तुमको सोहे सुन्दर,
बलि बलि जाऊं दादू न जाने ॥३॥
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ईश्वर के कार्य की अपारता दिखा रहे हैं, हे विश्व - विमोहन प्रभु ! ये जो भी दिखाई दे रहे हैं, सब आप ही के काम हैं । आपने अपने कार्यों से ब्रह्माँड के सभी भागों को मोहित किया है ।
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परमेश्वर ! आपने वायु, जल, सब मुनि, सूर्य, चन्द्रमा, सप्त समुद्र१ पृथ्वी को धारण करने वाले शेष, अष्ट जाति५ के पर्वत, सुमेरु और तीनों लोकों को मोहित किया है । हे जगजीवन ! सम्पूर्ण भुवन आपकी सेवा में लगे रहने से ही सुन्दर लगते हैं ।
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शिव, ब्रह्मा, नारद मुनि, सब सुरगण तथा सम्पूर्ण ग्राम देव, इन्द्र, वासुकी२ तथा शेष और आपकी सेवा करने वाले भक्त मुनियों को भी आपने मोहित किया है ।
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आपसे परे३ कोई नहीं, आप सबसे परे४ हैं, वो माया४ रहित३ प्रभो ! आपके ये चरित्र बुद्धि की गम से परे हैं, इन्द्रियातीत हैं और अपार है । इनको कौन जान सकता है ? इन चरित्रों की सुन्दर शोभा आप ही के लिये शोभनीय है । मैं तो इनका आदि, अन्त न जानकर आपकी बारँबार बलिहारी जाता हूँ ।
(क्रमशः)

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