गुरुवार, 14 नवंबर 2019

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*सुफल वृक्ष परमार्थी, सुख देवै फल फूल ।*
*दादू ऊपर बैस कर, निगुणा काटै मूल ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ निगुणा का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी ​ 
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *क्रोध* 
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एक संत मार्ग में जा रहे थे, सम्मुख एक रबाबी(रबाब नामक बाजा बजाने वाला ) आ निकला । वह राजा के पास जा रहा था । संत को नंगे सिर देख अपशुकन मानकर क्रोधित हो, रबाब से सिर पर दे मारी, रबाब टूट गया । 
संत के सिर में गहरी चोट आई थी । किन्तु रबाब टूट जाने से उनको बड़ी दया आई और यह सोच कर कि अब यह किससे कमाकर खायगा, दूसरे मार्ग से पहले ग्रामाधीश के पास गये और उसके आने पर उसे १५ रुपये दिलवा दिये ।
संत क्रोध प्रतिकार में, करैं दया सम्मान ।
रबाब सिर पर खाय के, संत दिलाया दान ॥१६८॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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