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🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*दादू कहि कहि मेरी जीभ रही, सुनि सुनि तेरे कान ।*
*सतगुरु बपुरा क्या करै, जो चेला मूढ़ अजान ॥*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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####### *श्री गोरखवाणी* #######
अवधू बूझना ते भूलना नही, अनबूझ मग हारै ।
सूने जंगल भटकता फिरहीं, मारि लिहीं बटमारै ॥१५०॥
हे अवधूत ! साधना मार्ग की जानकारी न होने पर सुविज्ञ सदगुरु से पूछने में संकोच नहीं करना चाहिये तथा जानने के बाद उसका अनुसरण करना चाहिये । इसके अभाव में जैसे बियाबान जंगल में भटक जाने पर डाकुओं के द्वारा लूटे जाने का भय बना रहता है, वैसे ही साधन पथ में भटक जाने पर यह जीवन न इधर रहता है और न उधर का । अनमोल मानव जीवन व्यर्थ के प्रपंच और प्रलोभनों में उलझकर रह जाता है ।
### संस्कार बिन्दु पत्रिका द्वारा साँभरलेक जयपुर ###
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