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*ईश्वर मीरां मुझ सौं महर कर, सिर पर दीया हाथ ।*
*दादू कलियुग क्या करै, सांई मेरा साथ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ समर्थता का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *ईश्वर भरोसा*
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सांभर में संतवर दादूजी अधिक प्रतिष्ठा होने से वहां के प्रतिष्ठित वैरागी साधु को बड़ा दु:ख हुआ । कारण उनके भक्त दादूजी के पास जाने लग गये । उसने अपने चेलों से कहा - दादू को पीट-पाट कर निकाल देना चाहिये । जब दादू जंगल में शौच क्रिया के लिए जाय, तब पीछे से अपने भी चले और वहां ही पीटकर भगा दें ।
अपने निश्चय के अनुसार एक दिन वे लोग जा पहुँचे । दादूजी तो ईश्वर पर पूर्ण भरोसा रखने वाले थे, इस कारण ईश्वर कृपा से दादूजी के पास जाते ही वैरागी तो दादूजी के रूप में दीखने लगा और दादूजी वैरागी रूप में दीखने लगे । इससे वैरागी के चेलों ने वैरागी को ही खूब पीटा और दादूजी की कुछ भी क्षति नहीं हुई ।
इससे सूचित होता है कि ईश्वर पर भरोसा वाले की क्षति नहीं होती ।
ईश भरोसे पर रहे, क्षति होती कुछ नांहि ।
बचे दादु, पिट गया वैरागी, वन माँहि ॥२६८॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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