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*साचा सहजैं ले मिलै, शब्द गुरु का ज्ञान ।*
*दादू हमको ले चल्या, जहँ प्रीतम का स्थान ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ गुरुदेव का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग ३* *गुरु भक्ति*
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एक गुरु के कई शिष्य थे । उनमें एक की बुद्धि तो तीव्र न थी किन्तु गुरुभक्त था । दूसरे सब बुद्धिमान होने से उसकी हँसी किया करते थे । एक दिन परीक्षा के निमित गुरु ने अपने शिष्यों से क्रम क्रम से कहा - इस घर में सुई रखी है ले आओ । एक एक कर सभी शिष्य घर को खोज आये किन्तु सूई नहीं मिली । अंत में अल्प बुद्धि गुरु भक्त को आज्ञा दी । गुरु भक्ति के प्रताप से जहां सूई गड़ी थी उस स्थान का उसे ठीक ठीक ज्ञान हो गया और वह सुई निकाल लाया । इसी प्रकार गुरु भक्त को ही अन्त: स्थित परमात्मा का साक्षात होता है और जो गुरु भक्त नहीं होते उन्हें वास्तव ज्ञान तथा परमात्मा का साक्षात नहीं होता।
सुगुरु भक्ति बिन हो नही, साक्षात प्रभु ज्ञान ।
मिली सूई गुरु भक्त को, फिरे अन्य अनजान ॥२३०॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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