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*परमारथ को सब किया, आप स्वार्थ नांहि ।*
*परमेश्वर परमार्थी, कै साधु कलि मांहि ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ साधु का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *निष्कामता*
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एक विद्वान दैवयोग से कुएं मे गिर पड़े थे । उन्हें जब रस्सा डाल करके निकालने लगे, तब उन्होंने कुएं में से ही भगवान् की शपथ कराकर कहा - भाई ! जिसने मुझसे विद्या पढी हो वह मेरे निकालने रूप कार्य नहीं आवे, कारण मैने निष्काम भाव से ही सबकों पढाया है । मेरे निकालने के कार्य में विद्यार्थी शामिल होगा तो मेरी निष्कामता का फल नष्ट हो जायेगा । इससे सूचित होता है कि निष्कामी उपकार का बदला नहीं चाहता ।
निष्कामी उपकार का, बदला चाहत नांहि ।
कूप पड़े दुध्य ने कहा, छात्र न आये मांहि ॥२९९॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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