#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= (चित्र बंध, चौकी बंध. ४) =*
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*चामर*
*दरस तें उसका नाव दिल में इसक उपजै दरद ॥*
*दरद बंद पुकार करतें होइ सबसौं फरद ॥*
*दर फकीरी में फिरत फारिक जानि सोई मरद ॥*
*दर मजल सोई जाइगा दिल किया सुंदर सरद ॥४॥*
उसके नामस्मरण एवं दर्शन से भक्तों के हृदय में प्रेम एवं विरह - दोनों उत्पन्न हो जाते हैं । ऐसे भक्त उसका नाम लेते लेते ही संसार से विरक्त हो जाते हैं । इस प्रकार, ऐसे संसारत्याग को ही यथार्थ पुरुष कहा जा सकता है । महात्मा श्रीसुन्दरदासजी कहते हैं - ऐसी शान्ति प्राप्त करने वाला साधक ही साधना की उच्चतम स्थिति में पहुँच सकता है ॥४॥
(क्रमशः)

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