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*छाजन भोजन परमार्थी, आतम देव आधार ।*
*साधु सेवक राम के, दादू पर उपकार ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ विश्वास का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *सन्तोष*
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एक छोटे से गांव में सन्तों की मण्डली आई थी। सब को एक व्यक्ति भोजन नहीं करा सकता था इसलिये योग्यता अनुसार सब घरों में एक-एक दो-दो बांट दिया ।
एक वृद्धा माता के हिस्से में एक संत आया । उसके घर में उस रोज खिलाने के लिये कुछ नहीं था । संत को देख कर के वह हर्षित तो हुई किन्तु अन्न के नहीं होने से तुरन्त रोने लगी ।
संत ने पूछा - "रोती क्यों हो ?"
माता - "मेरा अहो भाग्य है कि आप घर पधारे किन्तु खेद है कि आज घर में खाने पीने को कोई भी वस्तु नहीं है ।"
संत - "माता जी चिन्ता नहीं करो, थोड़ा सा जल गरम करके मुझे पिला दो ।"
माता ने वैसा ही किया । संत जल पीकर गये कि उसके घर में खूब द्रव्य की वर्षा हुई, इससे सूचित होता है कि सन्तोषी का सम्मान करने से भी अति लाभ होता है ।
होत लाभ संतुष्ट का, करने से सम्मान ।
दिये गरम जल भी तुरन्त, वर्षा द्रव्य महान ॥२६१॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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