सोमवार, 9 दिसंबर 2019

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*दादू बुरा न बांछै जीव का, सदा सजीवन सोइ ।* 
*परलै विषय विकार सब, भाव भक्ति रत होइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ दया निर्वैरता का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी​ 
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *क्षमा*
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(१) बद्रिकाश्रम में नर-नारायण भगवान् के तप को भंग करने के लिये कामदेव की सेना ने अति प्रयत्न किया था, तब भी नारायण भगवान् ने उनका सबका सत्कार करते हुये अभयदान देते हुये उन्हे उर्वशी नामक अप्सरा दी थी ।
(२) त्रिदेव परीक्षा के समय भृगु ऋषि ने भगवान् हरि(विष्णु) जी की छाती में लात मारी थी तब भगवान् ने यह कह कर कि - मेरी छाती अति कठोर है आपके चरण में चोट आई होगी, सतकार ही किया था ।
(३) यादव विनाश के समय भगवान् श्री कृष्ण के चरण में जरा नामक व्याध ने वाण मारा था, जब भगवान् ने उसे अभयदान देते हुये स्वर्ग में भेजा था । उपरोक्त तीनों कथायें प्रसिद्ध हैं ।
अपकारक का भी करें, क्षमाशील सत्कार ।
नारायण हरिकृपा ने, किया भली विधि प्यार ॥२७१॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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