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*दादू सिरजनहारा सबन का, ऐसा है समरत्थ ।*
*सोई सेवक ह्वै रह्या, जहँ सकल पसारैं हत्थ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ समर्थता का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *ईश्वर भरोसा*
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महात्मा गांधी अफ्रीका से लौटकर बम्बई में रहने लगे थे । उन दिनों उनका दस वर्ष का दूसरा लड़का मणिलाल बिमार हो गया । उनका ज्वर उतरता ही नहीं था । धबराहट होती थी, रात को सन्निपात के लक्षण भी दिखाई देने लगे । डाक्टर ने कहा - इसे दवा कम काम देगी, अण्डा और मुरगी का शोरवा देने की आवश्यकता है । गांधीजी - हम अन्न अहारी हैं, मेरा विचार इनमें से एक भी वस्तु देने का नहीं है । डाक्टर के अति आग्रह करने पर भी गांधीजी ने उपरोक्त वस्तुएँ नहीं दी । केवल राम -भरोसा रखकर प्रार्थना करने में ही मणिलाल ठीक हो गया, इससे सूचित होता है कि रामभरोसे से रक्षा होती है ।
रामभरोसा जो रखें, सुधरे उनका हाल ।
रामभरोसे बच गया, गांधीसुत मणिलाल ॥२६९॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###
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