🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*बाकी कौन बिगारै, जाकी आप सुधारै ।*
*कहै दादू सो कबहूँ न हारै, जे जन सांई संभारै ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ शूरातन का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *तप*
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देवताओं से अश्विनीकुमारों को वैद्य कहकर देव समाज से बाहर कर दिया था । इन्द्र की आज्ञा से उनका सोमपान बंद था । राजा शर्याती के यज्ञ में च्यवनजी ने अश्विनी कुमारों को सोमपान कराया था । इससे कुपित होकर इन्द्र ने च्यवनजी को मारने के लिये बज्र उठाया । च्यवन ने तपोबल से बज्र सहित इन्द्र की भुजा को रोक दिया । इन्द्र कुछ भी नहीं कर सके । तब से पुन: अश्विनी कुमारों को सोमरस मिलने लगा । इस कथा से सूचित होता है कि तपोबल से देवता भी हार मानते हैं ।
तप से सुर भी हारते, यह न भृशा है बात ।
च्यवन अश्विनीसुतन को, सोम दिया विख्यात॥२३९॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###
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