गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*आत्मराम विचार कर, घट घट देव दयाल ।*
*दादू सब संतोंषिये, सब जीवों प्रतिपाल ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ दया निर्वैरता का अंग)*
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *उदारता*
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एक बड़े धनी और उदार ईश्वर - प्रेमी मनुष्य विचरते हुए एक खजूर के बाग में जा पहुँचे। उसी समय बाग के रखवाले के लिये दो रोटियां आई ।
इतने में ही वहां एक कुत्ता भी आ गया । रखवाले ने एक रोटी कुत्ते को दे दी । वह तुरन्त खा गया, तब दूसरी भी दे दी ।
यह देखकर धनी ने पूछा - तुम्हारे लिये कितनी रोटियां आती है ?
रखवाला - दो । धनी फिर तुमने दोनों कुत्ते को क्यों डाल दी ?
रखवाला - यहां तो कोई कुत्ता था नहीं । यह दूर से आया था अत: मैने यह सोचकर कि वह भूखा नहीं रहे।
यह सुन कर धनी उदार का उदारता का गर्व गल गया । उसने बाग और रखवाले दोनों को खरीद कर के बाग, बाग के रखवाले को देकर उसे दासता से मुक्त कर दिया ।
भूखा रहकर भी सु दे, पर को अन्न उदार ।
रखवाले ने श्वान को, रोटी दी कर प्यार ॥१७३॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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