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*खरी कसौटी पीव की, कोई बिरला पहुँचनहार ।*
*जे पहुँचे ते ऊबरे, ताइ किये तत सार ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पारिख का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *ईश्वर*
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एक संत कुछ संतों के साथ एक नगर की गली में जा रहे थे । किसी ने अटारी के ऊपर से उनके सिर पर राख का ठीकरा डाल दिया ।संत ने अपने वस्त्र झाड़ करके कहा - भगवन ! आपने बड़ी कृपा की ।
एक साथी ने कहा-राख का ठीकरा सिर पर पड़ना भी कोई भगवत् कृपा है ? संत हां, यह मेरा सिर अग्नि का ठीकरा पड़ करके जलने योग्य था, किन्तु भगवान ने कृपा करके राख के ठीकरे से ही बचा दिया । इससे सूचित होता है कि ईश्वर की कृपा का अनुभव सच्चे संत ही करते हैं ।
ईश कृपा अनुभव करे, सच्चे संत सुजान ।
भस्म ठीकरा सिर परे, की हरि कृपा महान॥७३॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###
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