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🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*पूरक पूरा पास है, नाहीं दूर, गँवार ।*
*सब जानत हैं, बावरे ! देबे को हुसियार ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ विश्वास का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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प्रार्थना से अभाव की पूर्ति -
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मूलर साहब(एक संत) के अनाथालय था, जिसमें बहुत से अनाथ लड़के थे एक दिन रसोईयों ने आकर कहा - "आज भोजन का कुछ भी समान नहीं है । हम लोग क्या बनावें ।" मूलर - "तुम अपना काम करो ।" रसोईयों ने भोजन बनाने के प्रथम के सब काम कर लिये ।
उधर मूलर साहिब ने भगवान से प्रार्थना की - "भगवान ! ये बच्चे आपके ही हैं" आपने ही इन्हे आज तक भोजन दिया है, आज भी आप ही देंगे, दूसरे की क्या शक्ति है ।" रसोईयों ने फिर आकर कहा - साहिब ! समय बहुत कम रह गया है, कुछ प्रबंध कीजिये ।" मूलर-हमने अपना काम कर दिया है, अब शेष जिनका है वे करेंगे । तुम अपना काम करो ।"
पंक्ति का समय हो गया है साहिब ने कहा - घंटी लगा दो ।" घंटी लगाते ही द्वार पर से आवाज आई- माल के छकड़े खाली कराओ ।" एक मनुष्य ने मूलर के पास जाकर कहा - "अमुक साहिब के यहां आज एक पार्टी थी किन्तु कुछ विध्न हो जाने से वह नहीं हो सकी ।उसके लिये बना हुआ भोजन आपके यहां के बच्चों के लिये भेजा है ।" समय पर पंक्ति लग गई और सब आनंद से जीम लिये ।
इससे सूचित होता है कि प्रार्थना से अभाव की पूर्ति भी शीध्र ही हो जाती है ।
पूरा होत अभाव झट, विनय करत मन लाय ।
मूलर के भोजन गया, जीमे सब सुखपाय ॥१५५॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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