गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

= सुन्दर पदावली(८.संख्या बर्णन. ११) =

#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
.
*= (८.संख्या बर्णन. ११) =*
*उगनीस और बात बिस्वा नख मानुष के,* 
*बीस चक्षु श्रुति भुजा रावन कै सुनियां ।* 
*इक बीस स्वरग सु बाईसी सो पातसा की,* 
*क्षौहणी तेईस जरासंध साथि गुनियां ॥* 
*च्यारि बीस अवतार च्यारि बीस तीर्थंकर,* 
*च्यारि बीस तत्त्व पीर च्यारि बीस धुनियां ।* 
*एक तें चौबीस लग संख्या संज्ञां कहि यह,* 
*सुंदर मिलावौ जति कवि पुनि पुनियां ॥११॥* 
.
उन्नीस संख्यावाची शब्द : 
उगनीस = उन्नीस, पिणुस्थान, १९ कहें गए हैं । 
बीस संख्या वाची शब्द : 
२० विश्वा । २० विश्वा माने गए हैं । यह देवताओं का एक गण है, जिसमें वसु, सत्य, ॠतू, दक्ष, काल, काम, भृति, कुरु, पुरुरवा और माद्रवादि सम्मिलित हैं । नख = मनुष्य के हाथ पैर के बीस नाखून । बीस चक्षु = दशशीश रावण की बीस आँखें और कान एवं भुजाएँ भी बीस । सुनियाँ = सुनि गयी हैं । 
२१ स्वर्गों के नाम नहीं मिले । 
बाईसी सोपातसा की = बादशाहों की सेना “बाईसी” कहलाती हैं । क्षौहणी तेईस जरा संध साथि ग्रन्थियाँ = मगध देश के राजा जरासंध के अधिकारी में तेईस अक्षौहिणी सेना था । जब उसने मथुरा पर आक्रमण किया था । 
२४ अवतार = ब्रह्मा, वाराह, नारद, नरनारायण, कपिल, दत्तात्रेय, यज्ञ, ॠषभ, पृथु, मत्स्य, कूर्म, धन्वंतरि, मोहिनी, नृसिंह, वामन, परशुराम, वेदव्यास, राम, बलराम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि, हंस और हृयग्रिव । 
२४ तीर्थंकर = जैनियों के २४ देवता – ॠषभदेव, अजितनाथ, संभवनाथ, अभिनन्दन, सुमतिनाथ, पद्मप्रभ, सुपार्श्वनाथ, चन्द्रप्रभ, सुबुधिनाथ, शीतलनाथ, श्रेयांसनाथ, वासुपुज्यस्वामी, विमलनाथ, अननानाथ, धर्मनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रत, नमिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, और महावीर स्वामी आदि । 
२४ तत्त्व = प्रकृति, महतत्त्व, अहंकार, पाँच ज्ञानेन्द्रिय, पाँच कर्मेन्द्रिय, मन, पाँच तन्मात्राएँ, पाँच महाभूत । 
२४ पीर = मुसलमानों के २४ पैगम्बर, आदम, शीश, नूह, इब्राहीम, याकूब, इसहाक, यूसुफ, इस्माइल, जकरिया, यहया, युनुस, दाऊद, अयूब, लूत, सुलेमान, स्वाल, शुएबाह, ईसा, मूसा, इलयास, हार, यसआ, जिलकिप, मुहम्मद साहिब । (इनके अतिरिक्त और बहुत से पैगम्बर हुए हैं परन्तु यहाँ प्रधान २४ से प्रयोजन है । पीर शब्द गुरु(दीक्षा देने वाले) का अर्थ देता है । इसलाम धर्म में”खलीफा” और “इमाम” बड़े धर्म शिक्षक और शासक बहुतायत से हैं । (खलीफा तो ४ ही प्रधान हैं जो मोहम्मद साहब के समसामयिक व पीछे हुए थे ।) 
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें