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*दादू विषय विकार सौं, जब लग मन राता ।*
*तब लग चित्त न आवई, त्रिभुवनपति दाता ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग ३* *स्मरण भक्ति*
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एक सेठ को एक संत बारंबार कहा करते थे कि - 'सेठजी इपने लौकिक धन आदि तो बहुत संग्रह किये हैं किन्तु कुछ ईश्वर नाम स्मरण भी करना चाहिये ।' यह सुन कर सेठ सदा ही कह देता कि अभी समय नहीं मिल रहा है, जब समय मिलेगा तब करूँगा ।
इस प्रकार कहते कहते एक दिन अकस्मात ही क्षण भर में मर गया । इससे सुचित होता है कि भजन करने के लिये समय का बहाना बनाना उचित नहीं । प्रत्येक काम के साथ ही ईश्वर नाम स्मरण करते रहना चाहिये ।
समय बहाना स्मरण हित, करना उचित सुनाँहि ।
बिना भजन ही मर गया, सेठ एक क्षण माँही ॥१०३॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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