शनिवार, 14 दिसंबर 2019

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*रोक न राखै, झूठ न भाखै, दादू खरचै खाइ ।* 
*नदी पूर प्रवाह ज्यों, माया आवै जाइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ माया का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी​ 
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग ३* *भक्त*
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जयपुर राज्य के डिग्गी गांव में दादूपंथी सांवलदासजी महान धनी थे किन्तु उन्होंने धन का उपयोग अपनी विलासता में न करके लोक सेवा में ही किया था । वे अकाल पीड़ितों तथा गरीबों की भारी सेवा करते थे जिसे देखकर जयपुर नरेश भी आश्चर्य करने लगते थे । एक समय जयपुर नरेश ने सांवलदासजी से धन की सहायता मांगी थी । सांवलदासजी ने कहा- "जन सेवा के लिये आपको जितना चाहे उतना ही ले सकते हैं किन्तु विलासता के लिये नहीं ।
भक्त संपंदा का करें, पर हित में उपदेश ।
सांवल ने सुबचालियें, अकाल पीड़ित लोग ॥४४८॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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