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*दादू तो पीव पाइये, भावै प्रीति लगाइ ।*
*हेजैं हरि बुलाइये, मोहन मंदिर आइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ विरह का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग ३* *प्रेम भक्ति*
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चिन्तामणि वेश्या विल्वमंगल के दर्शन करने वृन्दावन गई तब विल्वमंगल ने उसका बड़ा सत्कार करते हुये भगवत् प्रसाद का दूध भात का दोना उसे दिया । चिन्तामणि ने पूछा - यह कहां से आया है ? विल्वमंगल - भगवत् ने दिया है । चिन्तामणि - 'तब तो मैं भी भगवान के हाथ से ही लूंगी ।' यह कह कर वह भगवत् में तन्मय हो गई । उसकी दृढ प्रीति देख कर भगवान ने उसकी इच्छा पूर्ण की । अपने हाथ से उसे दूध भात का दोना दिया । इससे सूचित होता है कि हरि स्वयं आकर के अपने प्रेमी की इच्छा पूर्ण करते हैं ।
अपने प्रेमी की हरी, पूरत इच्छा आय ।
दूध भात हरि ने दिया, चिन्तामणि को लाय॥३१३॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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