रविवार, 15 दिसंबर 2019

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*सगुणा गुण केते करै, निगुणा नाखै ढाहि ।* 
*दादू साधू सब कहैं, निगुणा निष्फल जाइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ निगुणा का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी​ 
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग ३* *भक्त*
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मेवाड़ के कुरज गांव के दादूपंथी संत बखतावरदासजी धमाणा गांव में ठहरे हुये थे एक जाट के कुऐं पर स्नान करने जाया करते थे । एक दिन उन्होंने कहा - "भगवान कृपा से गेहूं अच्छे पके है ।" इस पर जाट बोला - "इसमें भगवान् की क्या कृपा है ? ये तो हमने भगवत् की गुदा में डण्डा डालकर पकाये है ।" संत तो चुप रहे किन्तु उसी दिन रात को ओलों की भारी वर्षा आई, जिससे उसका सब खेत नष्ट हो गया, फिर वह जाट अपनी उपरोक्त बात पर बड़ा लज्जित हुआ ।
भक्तन की सत बात को, झूंठ कहे पछताय ।
बखतावर को झिड़क कर, रोया शिरकरलाय ॥४४२॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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