🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*सांसैं सांस संभालतां, इक दिन मिलि है आइ ।*
*सुमिरण पैंडा सहज का, सतगुरु दिया बताइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *अभ्यास*
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एक दिन राजकुमार गुरु की आज्ञा से वन में शिकार खेलने गये थे, साथ में एक कुत्ता भी था । कुत्ते ने भीलराज हिरण्यधनु के पुत्र और द्रोणाचार्य के एक शिष्य को बाण-विद्या का अभ्यास करते देखकर भूँकना आरम्भ कर दिया ।
एकलव्य ने उसके भुँकने को अपने अभ्यास में विध्न जानकर सात बाण मार करके कुत्ते का मुख भर दिया, किन्तु कुत्ते के किंचित भी चोट नहीं आई । उसकी यह फुर्ती और हस्तलाधव, शब्द-वेध देखकर पाण्डवों ने प्रशंसा भी की । बिना अभ्यास ऐसा होना कठिन है ।
इससे सूचित होता है कि अभ्यास से कठिन से कठिन काम भी सुगम हो जाता है ।
कठिन कार्य भी सुगम हो, कीन्ह भल अभ्यास ।
एकलव्य के शरन से, कुत्ते को नहिं त्रास ॥३०२॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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