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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= (८.संख्या बर्णन. ९) =*
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*बसु अहि परबत योग अंग ब्याकरण,*
*लोकपाल दिगपाल सिद्धि आठ जग है ।*
*षंड निद्धि द्वार नाडी रस ग्रह योगेश्वर,*
*नाथ नन्द ऊषर नौगुण नव तग है ।*
*दिशा दोष अवतार धुनि नाभि पद्म मुद्रा,*
*बायु दश एकादश रुद्र हर लग है ।*
*मास राशि सूर भक्त संकरांति पंथ पून्यूं,*
*हृदय कवल बारा यम नेम पग है ॥९॥*
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*आठ संख्यावाची शब्द-*
८ वसु = धर, ध्रुव, सोम, सावित्र, अनिल, अनल, प्रत्यूष, प्रभास ।
८ अहि - सर्प = वासुकी, तक्षक, ककोर्टक, शंख, कुलिक, पद्म, महापद्म, अनन्त ।
८ पर्वत – हिमालय, मलयगिरी, महेन्द्र, सहयाद्रि, शुक्तिगिरी, ॠक्षपर्वत, विंध्याचल, परियान पर्वत
८ पारियात्र योग – अष्टांग योग = यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि,
८ अंग – साष्टांग करने में जो आते हैं वे ये हैं – गोड़े, पाँव, हाथ, पेट, शिर, वाणी, बुद्धि और दृष्टि ।
८ – वैयाकरण = व्याकरण – इन्द्र, चन्द्र, काशकृत्स्न, आपिशली, शाकटायन, पाणिनी, अमर, जैनेन्द्र ।
८ लोकपाल = इन्द्र, अग्नि, यम, नैॠतु, वरुण, वायु, कुबेर, शंकर ।
८ दिजपल - दिग्गज = एरुवत, पुंडरिक, वामन, कुमुद, अज्जन, पुष्पदंत, सार्वभौम, सुप्रतीक ।
८ सिद्धि = अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशत्व, वशित्व ।
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*नौ संख्यावाची शब्द–*
९ षंड = इलावर्त, रम्यक, कुरु, हरिवर्ष, किंपुरुष, भारतवर्ष, केतुमाल, भद्राश्व, हिरण्य ।
९ निधि = पद्म, शंख, महापद्म, मकर, कच्छप, मुकुंद, कुंद, नील, खर्व ।
९ नाड़ी = इडा, पिंगला, सुषुम्ना, गंधारी, पुषा, गजजिव्हा, प्रसाद, शनि, शंखिनी ।
९ रस काव्य में = श्रृंगार, करुणा, वीर, भयानक, अद्भुत, हास्य, रौद्र, वीभत्स, शांत ।
९ ग्रह = सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र, बृहस्पति, मंगल, शनि, राहु, केतु ।
९ योगेश्वर = शुक्राचार्य, नारायण(श्री कृष्ण), अन्तरिक्ष, प्रबुद्ध, पिप्लायन, आविर्होत्र, द्रुमिल, चमस और करभाजन ।
९ नाथ = गोरक्षनाथ, ज्वालेन्द्रनाथ, कारिणनाथ, गहिनीनाथ, चपटनाथ, रेवणनाथ, नागनाथ, भर्तृनाथ, गोपीचन्दनाथ ।
९ नंद = मगध देश का राजा महानंद और उसके ८ पुत्र, यों नवों के चाणक्य ने विष से मारे ।
९ गुण – शम, दम, तप, शौच, क्षमा, आर्जव, ज्ञान, विज्ञान, आस्तिक्य ।
ऊषर नौ – इस शब्द का कुछ संशोधन नहीं हो सका । यह लेखक दोष से किसी शब्द का अशुद्ध रूप है ।
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*१० की संख्या –*
१० दिशा = पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, अग्नि, नैर्ऋत, वायु और ईश, एक दिशा ऊर्ध्व और एक अंध: ।
१० दोष = चोर, जुवारी, अज्ञ, कायर, गूंगा, बहरा, अंधा, पागला, नपुंसक, कुरूप ।
१० अवतार = कच्छ, मच्छ, वामन, वराह, नृसिंह, परशुराम, रामचन्द्र, कृष्ण, बुद्ध, कलंकी ।
धुनि, नाभि, पद्म – ये दश की संख्या के वाची कैसे हैं इसका पता नहीं लगा ।
१० मुद्रा योग में = महामुद्रा, महाबंध, महाबेध, खेचरी, उड्डियान, मूलबंध, जलान्धरबंध विपरीतकरणी, बज्रोली, शक्ति चालन ।
१० वायु = प्राण, अपान, समान, उदान, व्यान, नाग, कूर्म, देवदत्त, कृकल, धनन्जय ।
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*ग्यारह संख्यावाची शब्द –* एकादश रूद्र, हर, शिव, अज आदि ।
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*बारह संख्यावाची शब्द –*
१२ मास = १२ महीने । चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, माघ, पौष, फाल्गुन,
१२ राशि = राशियों में मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन ।
१२ आदित्य, विवस्वान, आदिक ।
१२ भक्त प्रह्लाद, आदिक ।
१२ क्रांतिए ।
१२ पंथ = बारा बाट ।
१२ पून्यू = १२ पूर्णिमा
१२ हृदय कमल बारह = हृदय कमल(अनाहत चक्र) की बारह पंखुड़ियाँ, यम नियमादि जिसके चरण हैं ।
(क्रमशः)

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