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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= (८.संख्या बर्णन. १०) =*
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*तेरा तरवर ताल तेरा द्वार कहै फिर*
*रतन बतावै तेरा ये भी बात सही सो ।*
*रतन भवन बिद्या जम भट इन्द्री देव,*
*बिषय कहीजै चौदा पंद्रा तिथि कही सो ॥*
*सुर सिणगार उपचार कला पारषद,*
*वय रंभा सोला सत्रा कोटि जल मही सो ।*
*समृत पुरान प्रवराम सेना भारत की,*
*भारहू अठारा वै अठारा ध्याइ लही सो ॥१०॥*
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*तेरह संख्यावादी शब्द :*
१३ तेरह तरवर = कल्प वृक्षादि तेरा वृक्ष ।
उदुम्बरं वटवृक्षं जम्बुद्धयमकार्ज्जुनम् ।
पिप्पलंच कदंबंच पलाश लोध्रतिद्रकम् ॥
मधूकमाम्र सज्जं च बदरं पद्मकेशरम् ॥
१३ ताल तेरा = तेरह सरोवर – मानसरोवरादिक तेरह सरोवर अथवा संगीत के ताल(एक ताल, त्रिताल, चौताला आदि ताल) ।
१३ द्वार = तेरह द्वार, देवद्वार, राज द्वारादिक ।
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*चौदह संख्यावादी शब्द :*
१४ रत्न – लक्ष्मी, कोस्तुभ मणि, रंभा, सूरा, अमृत, विष, ऐरावत, शारंगधनुष, धन्वन्तरि, कामधेनु, चन्द्रमा, कल्पवृक्ष, सप्तमुखी अश्व ।
१४ भवन = ७ तो लोक भु भुवस्वादि ऊपर की ओर तथा भूतल-धरातल-वितल, सुतलादि ७ लोक नीचे पाताल की ओर ।
१४ विद्याएँ = ४वेद +६शास्त्र +१मीमांसा +१धर्मशास्त्र +१न्याय +१पुरान ।
१४ यम = धर्मराज, यमराज, मृत्यु, अतंक, वैवस्वत, नील, दध्न, काल, सर्वभूतक्षय, परमेष्टी, वृकोदर, उदुम्बर, चित्र और चित्रगुप्त ।
भट = १४ यमों के १४ भट ।
इन्द्रिय १४ = ५ ज्ञानेन्द्रिय + ५ कर्मेन्द्रिय + ४ अन्त:करण ।
१४ देव = १४ इन्द्रियों के १४ देवता ।
विषय = १४ इन्द्रियों के १४ मुख्य विषय(शब्द स्पर्श आदिक)
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*पन्द्रह संख्या वाची शब्द :*
पन्द्रह तिथि – प्रतिपदा कृष्णा से अमावस्या तक और प्रतिपदा शुक्ला से पूर्णिमा तक पन्द्रह तिथियाँ ।
सुर = स्वर्ण वर्ण अ से अ: तक ।
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*सोलह संख्या वाची शब्द :*
१६ सिंणगार – श्रृंगार – शौच, उबटन, स्नान, केश-बन्धन, अंगराग, अन्जन, दन्तरंजन(मिस्सी) मेंहदीं, बीड़ा, वस्त्र, भूषण, सुगंध, पुष्पमाला तिलक, टीकी, चिबुक पर बिन्दी ।
१६ उपचार = षोडशोपचार – पूजन, आवाहन, आसन, पाद्य, अर्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बुल, आरती, नमस्कार,(वा दक्षिणा)
१६ कला = चन्द्रमा की १६ कलाएँ – अमृता, मानदा, पूषा, तुष्टि, पुष्टि, रति, धृति, शशिनी, चन्द्रिका, कांति, ज्योत्स्ना, श्रिय, प्रीति, अंगदा, पूर्णा, पूर्णामृता ।
१६ पारषद = जय, विजय, आदिक, भगवान् के पार्षद । ये श्री कृष्ण के अष्ट सखा और श्रीराम के अष्ट सखा रूप में भी जाने जाते हैं ।
वयरम्भा = रम्भा अप्सरा की आयु सदा १६ वर्ष ही रहती है ।
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*सतरह संख्या वाची शब्द :*
सन्ना कोटि जल मही सो = पृथ्वी पर सतरह कोटि(प्रकार) जल प्रसिद्ध है ।
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*अठारह संख्यावाची शब्द :*
प्रवराम = १८ प्रधान प्रवर – प्रसिद्ध पुरुष – आत्रेय, वसिष्ठ, विश्वामित्र, भारद्वाज, यमदग्नि, आंगिरस, गौतम, काश्यप, च्यवन, भार्गव, पराशर, शक्ति, शांडिल्य, आप्नुवान, मरीचि, बर्हिस्पत्य, अगस्त्य, और वत्स ।
सेना भारत की = महाभारत में १८ अक्षोहिणी थी – ११ कौरवों की ७ पांडवों की ।
१८ भार वनस्पति के कहे जाते हैं ।
भगवद्गीता में १८ अध्याय हैं ।
स्मृतियाँ और पुराण भी १८ ही हैं ।
१८ स्मृतियाँ = मनु, याज्ञवल्क्य, पराशर, वशिष्ट, हारीत, नारद, अत्रि, आपस्तम्ब, शातातप, संख, लिखित, व्यास, भारद्वाज, कश्यप, दक्ष, विष्णु, यम, बृहस्पति ।
१८ पुराण – विष्णु, वराह, बामन, पद्म, शिव, अग्नि, ब्रह्म, ब्रह्मवैवर्त, ब्रह्माण्ड, भविष्य, भागवत, मार्कण्डेय, मत्स्य, नारद, लिंग, स्कन्द, कूर्म, गरुड ।
(क्रमशः)
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