🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*गूंगा गहिला बावरा, सांई कारण होइ ।*
*दादू दीवाना ह्वै रहै, ताको लखै न कोइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ जीवित मृतक का अंग)*
=====================
साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
.
*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *क्षमा*
####################
संत उसमान हैरी को किसी पुरुष ने भोजन का निमन्त्रण दिया । वे गये तब परीक्षा के लिये उसने उन्हें घर में नहीं घुसने दिया । लौट चले । तब पुन: बुलवाया । फिर आये तब पुन: धक्के देकर निकाल दिया । इसी प्रकार उसने कई बार निरादर किया ।
अन्त में उसने कहा - 'महाराज ! मैं आपकी परीक्षा कर रहा था । आप नि:संदेह उत्तम संत हैं ।' वे बोले - "भाई ! तुमने जो मेरा स्वभाव देखा है वह तो कुत्ते में भी होता है । उसे बुलाओ तब आ जाता है और हटाओ तब चल देता है । अत: उससे मुझ में क्या उत्तमता है ।" क्षमाशील उसमान हैरी ने धक्के तथा सम्मान को सम ही समझा है ।
क्षमाशील को होत सम, मान और अपमान ।
धक्केखाकर भी नहीं, मन उसमान मलान ॥२७४॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें