शनिवार, 7 दिसंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*है तो रती, नहीं तो नांहीं, सब कुछ उत्पति होइ ।* 
*हुक्मैं हाजिर सब किया, बूझे बिरला कोइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ समर्थता का अंग)*
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *ईश्वर*
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इस कल्प के प्रथम मन्वन्तर में, देवता अनाहार से क्षीण हो रहे थे । देवताओं के दुर्बल होने से व्यक्त जगत नष्ट होता जा रहा था । वर्षा, अन्न, अग्नि, वायु और पृथ्वी सब नि:सत्त्व प्राय: हो चले थे तब महर्षि रूचि की पत्नि आकूती से भगवान से यज्ञ रूप में प्रगट होकर अग्निहोत्र द्वारा सब को शक्ति प्रदान की थी । उन्ही के नाम से अग्निहोत्र यज्ञ नाम से पुकारा जाने लगा है ।
क्षुधा त्रस्त सुर आदि को, करत तृप्त भगवान ।
यज्ञ रूप होकर किया, कर सुयज्ञ अनुष्ठान ॥४८॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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