🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*दादू परचा माँगें लोग सब, कहैं हमकौं कुछ दिखलाइ ।*
*समरथ मेरा सांइयाँ, ज्यों समझैं त्यों समझाइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ समर्थता का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *दया*
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नरेना के दादूपंथ के आचार्य सन्त जैतरामजी के पास आकर एक चारण प्राय: याचना करता था किन्तु लेता कुछ नहीं था, कह देता था कि कभी आवश्यकता पर ले लूंगा । जैतसाहबजी याचक को कभी निराश नहीं करते थे । उनका यह प्रण ही था। एक दिन वे सरोवर पर स्नान कर रहे थे, उनके पास कुछ नहीं था । उसी समय उपरोक्त चारण ने आकर कहा - मझे इसी क्षण अन्न चाहिये । महाराज ने जल की अंजली भरी, वही बेझड़(जौ चना) रूप हो गई । उनका प्रण रह गया चारण चरणों में जा गिरा । कारण उसको उनसे लेना न था, केवल उनके प्रण की परीक्षा करनी थी ।
संतन की प्रण हरि रखे, सर्व देश सब काल ।
दिया जैत ने तुरन्त ही, सरसे अन्न निकाल ॥१००॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###
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