🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
श्रीदादूवाणी भावार्थदीपिका भाष्यकार - ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी आत्माराम जी महाराज, व्याकरणवेदान्ताचार्य ।
साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ
*हस्तलिखित वाणीजी* चित्र सौजन्य ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग. २)*
.
*जेता पाप सब जग करै, तैता नाम बिसारे होइ ।*
*दादू राम संभालिये, तो येता डारे धोइ ॥१२२॥*
*दादू जब ही राम बिसारिये, तब ही मोटी मार ।*
*खंड खंड कर नाखिये, बीज पड़ै तिहिं बार ॥१२३॥*
*दादू जबही राम बिसारिये, तब ही झंपै काल ।*
*सिर ऊपर करवत बहै, आइ पड़ै जम जाल ॥१२४॥*
*दादू जब ही राम बिसारिये, तब ही कंध बिनाश ।*
*पग पग परलै पिंड पडै, प्राणी जाइ निराश ॥१२५॥*
*दादू जब ही राम बिसारिये, तब ही हाना होइ ।*
*प्राण पिंड सर्वस गया, सुखी न देख्या कोइ ॥१२६॥*
सम्पूर्ण संसार मिलकर जितना पाप करता है उतना पाप भगवान् की नाम-विस्मृति में होता है । और भगवान् के नामस्मरण में उतना ही पाप नष्ट हो जाता है । बृहद्विष्णु पुराण में लिखा है-
“भगवान् के नाम में पापों को नष्ट करने की जितनी शक्ति है, उतना पाप पापी कर ही नहीं सकता ।”
हे मानवो ! जलते हुए पाप रूपी अग्नि से भय मत मानो, क्योंकि गोविन्दभगवान् के नामरूपी जल बिन्दुओं से सम्पूर्ण पापाग्नि शान्त हो जायेगी ।
संसार में सब से अधिक हानि, सबसे बड़ी अन्धता, मुर्खता या मूकता यही है कि हम वासुदेव भगवान् का नामचिन्तन नहीं करते । अतः क्षणभर के लिये भी हमें उसे नहीं भूलना नहीं चाहिये ॥१२६॥
.
*नाम सम्पूर्णता*
*साहिब जी के नांव में, बिरहा पीड़ पुकार ।*
*ताला बेली रोवणा, दादू है दीदार ॥१२७॥*
हरिनाम स्मरण के समय विरहव्याथा से युक्त प्रार्थना करनी चाहिये । मन में भगवद्दर्शन की अत्यधिक उत्कण्ठा हो । नेत्रों से अश्रुधारा प्रवाहित होती रहे । तब उस भक्त को भगवान् के दर्शन अवश्य हो जाते हैं । यह पद्य विरहभक्ति का सूत्र है । इस विरहभक्ति का विशद वर्णन आगे के अंग में करेंगे । इस विरह का लक्षण-
भक्तिरसायनामृत सिन्धु ग्रन्थ में इस प्रकार किया है-“अन्तःकरण में ध्यान से जो भगवान् का संयोग हुआ था उसका विच्छेद होना ही विरहवियोग है ॥१२७॥”
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें