🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*श्रम न आवै जीव को, अनकिया सब होइ ।*
*दादू मारग मिहर का, बिरला बूझै कोइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ विश्वास का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु* *भाग २* *श्रद्धा विश्वास*
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एक नदी के तट पर एक विश्वासी भक्त भजन कर रहा था, वर्षाकाल था, नदी का वेग बढा । उसमें अनेक वस्तु बहकर आ रही थी । बहुत से लोग नाना उपायों से उन्हें निकाल रहे थे । इस भक्त को भी भूख लग रही थी अन्य लोग भी कह रहे थे कि बैठा-बैठा क्या देख रहा है तू भी कुछ निकाल ले ।
भक्त- भगवान आवश्यकता की वस्तु सभी को देते है फिर मुझे क्यों नही देंगे ? लोग बोले- देखेंगे जो भगवान तेरी गोद में रख देंगे । थोड़ी ही देर मे नदी की लहरों से उछल कर एक मतीरा(तरबूज) भक्त की गोद में आ पड़ा ।
इससे सूचित होता है कि प्रभु के विश्वास पर बैठकर भजन करने वाले को बैठे-बैठे भी मिलता है ।
दृढ विश्वासी को अशन, बैठे भी मिल जाय ।
नदी लहर से गोद में, पड़ा मतीरा आय ॥२३४॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्यराम सा ###

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